image: Mystery of Ganga and Badrinath in Uttarakhand

देवभूमि का रहस्य: जब विलुप्त होंगी मां गंगा और जगह बदलेंगे बदरीनाथ..जानिए क्या हैं मान्यताएं

हालांकि यह सभी जनश्रुतियां हैं। हां इतना जरूर है कि जिस तरह से धरती का दोहन हो रहा है, वो इन जनश्रुतियों को बल जरूर देता है।
Jun 23 2021 3:18PM, Writer:तान्या बडोला

क्या आप जानते हैं कि एक दिन गंगा धरती से विलुप्त हो जाएगी...एक दिन ऐसा भी आएगा जब बदरीनाथ धाम का पता बदल जाएगा...जी हां ये बात सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन हिंदू धर्म को जानने वालों के मुताबिक ये सत्य है।इस बात का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। भविष्य में गंगा धरती से गायब होकर एक बार फिर स्वर्गलोक चली जाएगी और जिस दिन ऐसा होगा उस दिन के बाद भगवान विष्णु के धाम बदरीनाथ का भी पता बदल जाएगा। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये मान्यता है क्या।
बदरीनाथ के अपने कई रहस्य हैं...चाहे वो पूजा के दौरान शंख का न बजना हो या फिर पुजारी का स्त्री की वेशभूषा पहन कर पूजा करना..इन सभी मान्यताओं के अपने अपने कारण भी हैं। इन्हीं में से एक मान्यता जुड़ी है बद्रीविशाल के स्थान परिवर्तन को लेकर।
बदरीनाथ का नृसिंह की मूर्ति से जुड़ाव
बदरीनाथ से 46 किलोमीटर दूर जोशीमठ में नृसिंह भगवान का एक प्राचीन मंदिर है। भगवान नारायण का यहां मौजूद नृसिंह भगवान की मूर्ति से विशेष जुड़ाव माना गया है। कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य जी जिस दिव्य शालिग्राम पत्थर में नारायण की पूजा करते थे उसमें एक दिन नृसिंह भगवान की प्रतिमा उभर आई। उसी क्षण उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। भगवान नारायण ने उन्हें रौद्र रुप के बजाय शांत रूप में दर्शन दिए। जोशीमठ का यही नृसिंह मंदिर भगवान नारायण का शीतकालीन निवास स्थान भी है।
कहा जाता है कि वहां मौजूद नरसिंह भगवान की उस मूर्ति की एक कलाई हर साल पतली हो रही है और वर्तमान में नृसिंह भगवान के हाथ का वो हिस्सा सुई की गोलाई के बराबर रह गया है। कहा जाता है कि जिस दिन ये कलाई टूट जाएगी उस दिन के बाद बदरीनाथ धाम में मौजूद नर नारायण पर्वत, जिन्हें जय विजय पर्वत भी कहा जाता है वो आपस में मिल जाएंगे। कहावत है कि इससे बद्रीविशाल पहुंचने का रास्ता ही बंद हो जाएगा...हालांकि इस दिन के बाद भगवान विष्णु के दर्शन जोशीमठ से 17 किलोमीटर दूर स्थित भविष्य बद्री में होंगे।

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जब धरती पर नहीं बहेगी गंगा, कलियुग का होगा अंत
यहां एक मान्यता गंगा के विलुप्त होने से भी जुड़ी है.. पुराणों की गाथाओं के मुताबिक जब गंगा स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक में आईं थी उस वक्त उन्होंने खुद को बारह धाराओं में बांट दिया था। बदरीनाथ में जो धारा बहती है वो अलकनंदा कहलाई..हालांकि अब उन बारह धाराओं में से महज कुछ नदियां बचीं हैं इनमें से अलकनंदा और मंदाकिनी के नाम प्रमुख हैं। यही अलकनंदा आगे चलकर देवप्रयाग में भागीरथी से मिलकर गंगा का स्वरूप लेती हैं। अब माना ये जाता है कि कलयुग में जब पाप की पराकाष्ठा हो जाएगी तो ये दोनों नदियां भी अपना स्वरूप खो देंगी...और वो दिन गंगा वापस अपने निवास स्थान स्वर्गलोक चली जाएंगी। कहा जाता है कि उस दिन पूरे जम्बूद्वीप यानि पृथ्वी का नाश निश्चित है और इसी दिन कलयुग का अंत भी होगा और सतयुग की शुरूआत भी। हालांकि यह सभी जनश्रुतियां हैं। हां इतना जरूर है कि जिस तरह से धरती का दोहन हो रहा है, वो इन जनश्रुतियों को बल जरूर देता है।


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